Hello Poetry
  • Home
  • Privacy policy
  • About Us
  • Contact Us
  • Home
  • English Poems
  • अटल बिहारी वाजपेयी जी
  • अन्य कविताओं
  • कवि बद्रीरारायण जी
  • कुमार विश्वास
  • सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  • हरिवंशराय बच्चन जी

Friday, December 28, 2018

बचपन/ मेरा नया बचपन -सुभद्रा कुमारी चौहान

 Vikas Jain     December 28, 2018     सुभद्रा कुमारी चौहान     No comments   

मेरा नया बचपन -सुभद्रा कुमारी चौहान
मेरा नया बचपन -सुभद्रा कुमारी चौहान

मेरा नया बचपन -सुभद्रा कुमारी चौहान 

बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।
 गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी॥

 चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।
 कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद?

ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछूत किसने जानी?
बनी हुई थी वहाँ झोंपड़ी और चीथड़ों में रानी॥

 किये दूध के कुल्ले मैंने चूस अँगूठा सुधा पिया।
 किलकारी किल्लोल मचाकर सूना घर आबाद किया॥

 रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे।
 बड़े-बड़े मोती-से आँसू जयमाला पहनाते थे॥

 मैं रोई, माँ काम छोड़कर आईं, मुझको उठा लिया।
 झाड़-पोंछ कर चूम-चूम कर गीले गालों को सुखा दिया॥

 दादा ने चंदा दिखलाया नेत्र नीर-युत दमक उठे।
 धुली हुई मुस्कान देख कर सबके चेहरे चमक उठे॥

 वह सुख का साम्राज्य छोड़कर मैं मतवाली बड़ी हुई।
 लुटी हुई, कुछ ठगी हुई-सी दौड़ द्वार पर खड़ी हुई॥

 लाजभरी आँखें थीं मेरी मन में उमँग रँगीली थी।
 तान रसीली थी कानों में चंचल छैल छबीली थी॥

 दिल में एक चुभन-सी थी यह दुनिया अलबेली थी।
 मन में एक पहेली थी मैं सब के बीच अकेली थी॥

 मिला, खोजती थी जिसको हे बचपन! ठगा दिया तूने।
 अरे! जवानी के फंदे में मुझको फँसा दिया तूने॥

 सब गलियाँ उसकी भी देखीं उसकी खुशियाँ न्यारी हैं।
 प्यारी, प्रीतम की रँग-रलियों की स्मृतियाँ भी प्यारी हैं॥

 माना मैंने युवा-काल का जीवन खूब निराला है।
 आकांक्षा, पुरुषार्थ, ज्ञान का उदय मोहनेवाला है॥

 किंतु यहाँ झंझट है भारी युद्ध-क्षेत्र संसार बना।
 चिंता के चक्कर में पड़कर जीवन भी है भार बना॥

 आ जा बचपन! एक बार फिर दे दे अपनी निर्मल शांति।
 व्याकुल व्यथा मिटानेवाली वह अपनी प्राकृत विश्रांति॥

 वह भोली-सी मधुर सरलता वह प्यारा जीवन निष्पाप।
 क्या आकर फिर मिटा सकेगा तू मेरे मन का संताप?

मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
 नंदन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी॥

'माँ ओ' कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आयी थी।
 कुछ मुँह में कुछ लिये हाथ में मुझे खिलाने लायी थी॥

 पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतुहल था छलक रहा।
 मुँह पर थी आह्लाद-लालिमा विजय-गर्व था झलक रहा॥

 मैंने पूछा 'यह क्या लायी?' बोल उठी वह 'माँ, काओ'।
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा - 'तुम्हीं खाओ'॥

पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया।
 उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया॥

 मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ।
 मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ॥

 जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया।
 भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया॥



मेरा नया बचपन -सुभद्रा कुमारी चौहान

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
Newer Post Older Post Home

0 Comments:

Post a Comment

Amazon.in

Subscribe icon

Latest updates by email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Popular Posts

  • माँ-भाग २ ~ मुनव्वर राना , Munawwar Rana / Maa / Part 2
  • The Tenor Man/ Adrian Green
  • Little Exercise by Elizabeth Bishop

Pages

  • Home
  • Privacy policy
  • Contact us
  • About us

Blog Archive

Featured post

Follow Us

  • Twitter
  • Pinterest
  • Google+
  • Facebook

Search Here

  • Home
  • English poems
  • हरिवंशराय बच्चन जी
  • सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  • कवि बद्रीरारायण जी
  • अन्य कविताएँ
  • अटल बिहारी वाजपेयी जी

Menu

  • Home
  • Privacy policy
  • About
  • Contact Us

Recent Comments

Profile

My photo
Vikas Jain
View my complete profile

Labels

Adam Lindsay Gordon (5) Adrian Green (3) Ajay Krishna (1) Alan Seeger (5) Aleister Crowley (2) Aleksandr Blok (1) Alexander Pope (1) Alexander Pushkin (2) Allen Ginsberg (1) Amy Levy (1) Amy Lowell (2) Anne Bronte (2) Anne Sexton (2) Ben jonson (2) David Lehman (2) English poems (19) James Tate (1) अखिलेश तिवारी (1) अग्निशेखर (4) अंजना भट्ट (7) अजय कृष्ण (5) अजय पाठक (2) अजित कुमार (2) अज्ञेय (1) अटल बिहारी वाजपेयी जी (12) अदम गोंडवी (1) अन्य कविताओं (4) अम्बर रंजना पाण्डेय (1) अम्बर रंजना पाण्डेय (1) अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध (1) अरुण जैमिनी (2) अल्हड़ बीकानेरी (1) अशोक चक्रधर (1) अशोक वाजपेयी (3) आलोक धन्वा (1) कवि बद्रीरारायण जी (3) काका हाथरसी (3) कुमार विश्वास (4) कुंवर नारायण (1) केदारनाथ सिहं (2) चंदबरदाई (1) दुष्यंत कुमार (1) महादेवी वर्मा (1) मुनव्वर राना (2) मैथिलीशरण गुप्त (1) रामनरेश त्रिपाठी (1) शैल चतुर्वेदी (1) सुभद्रा कुमारी चौहान (1) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (3) हरिओम पंवार (3) हरिवंशराय बच्चन जी (12)

Hello Poetry

Popular Posts

सिन्दूर लगाना ~ अम्बर रंजना पाण्डेय

Devils / Alexander Pushkin , Alexander Pushkin Poems

Copyright © Hello Poetry | Powered by Blogger
Design by Hardeep Asrani | Blogger Theme by NewBloggerThemes.com | Distributed By Gooyaabi Templates