Hello Poetry
  • Home
  • Privacy policy
  • About Us
  • Contact Us
  • Home
  • English Poems
  • अटल बिहारी वाजपेयी जी
  • अन्य कविताओं
  • कवि बद्रीरारायण जी
  • कुमार विश्वास
  • सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  • हरिवंशराय बच्चन जी

Tuesday, January 15, 2019

लू / अजय कृष्ण - Hindi poems

 Vikas Jain     January 15, 2019     अजय कृष्ण     No comments   

लू / अजय कृष्ण, Hindi kavitaye
लू / अजय कृष्ण


लू / अजय कृष्ण

 मुझे लू पसन्द है।
वह मई-जून वाली आग
मुझे पागल कर देती है ।

वह जितनी तेज़ हो,
गरम हो, लहक रही हो
शोले बरसा रही, आग
उगल रही हो जब
लाल-लाल लहक रहा
हो आसमान जब कुएँ में
बाल्टी डालने पर पानी
के बदले निकलता हो
भर-भर के छलकता
दहकता लाल-लाल लावा
मैं वह लावा पी जाना
चाहता हूँ, सीधे बाल्टी
मुँह में लगा कर।

जब तेज़ चल रही हो अग्निवायु
जब झूम रहा हो इसमें बबूर
जब झूम रहा हो वो ऊँचा-पुराना पीपल,
और जब मचल रही हो आग की
लपटों जैसी उस नीम की फुगनियाँ
जब कपड़े उड़ते हो सूखकर
लहकर विलीन हो पाते हों
राख बनकर,

जब ह-ह-ह की गरज़
लील रही हो इस धरती को
उखाड़ रही हो ऊँचे-ऊँचे मकान
बस रह पाते हों कोई-कोई
उखड़ कर बह जाते हों पहाड़
बस रह जाता हो अतीत
बनकर पठार
जब जंगल के जंगल बन
रहे हों रेगिस्तान

जब देश के देश उजड़ रहे हों
बस रह जाते हों फकत वीरान श्मशान
जब बढ़ रहा हो समंदर
आसमान की तरफ निरंतर
जब हिमालय की बर्फ़ गिरती हो
पिघल-पिघलकर नदियों में
खौलता पानी बनकर
जब खौलकर बहती हो गंगा
मैं इस खौलते पानी में
डुबकी लगाना चाहता हूँ ।

पड़ जाए मेरी देह पर फफोले
क्योंकि उस जलन से मुझे
स्नेह है, जो ताज़े-ताज़े
फोड़ो से आती है ।

मलना चाहता हूँ उस परपराहट को
उस जलन को इस देह पर
मलना चाहता हूँ उस पर मैं
लाल-लाल मिर्च,

फिर दुबारा कूदना चाहता हूँ
उसी खौल रही गंगा में
ताकि बढ़े यह लहर
यह परपराहट यह बेचैनी
और इसी बेचैनी से
जलन से गेंदबाजी करुँ
सौ मील प्रति घण्टा की रफ़्तार
तेज़ दौड़कर आँधी बनकर
मोटर बाइक चलाऊँ सौ मील
प्रति घण्टा की रफ़्तार से
ताकि टकराएँ इन फोड़ों से
दुगुनी गति से यह
लहकते लू के वज्र जैसे शोले
और फूटकर बहें मेरे फोड़े
निकले खौलता पानी उनमें से भी ।

नहीं,
मैं टकरा जाऊँ तेज़ आती
हाहाकारती धरती की छाती दहलती
लहकती लोहे की इंजन से ।

नहीं
मैं टकरा दूँ तेज़ दौड़कर
अपनी तड़प, अपनी लहक
अपने फोले लिए शरीर को
उस ऊँचे पहाड़ से
ताकि फूटकर हो जाएँ
चकनाचूर ये, व्रण
और बहें उन फूटे पत्थरों पर से
ये फोले गरम नदी बनकर।
मैं रहूँ हरदम बेचैन, बदहवाह।

मुझे न लगे भूख न लगे प्यास
मैं बन जाऊँ आग-आग
नहीं,
डाइनामाइट-डाइनामाइट
नहीं
यूरेनियम-यूरेनियम-यूरेनियम
हाँ,

और बन जाऊँ न्यूनक्लियर बम
और सवार होकर किसी महामिसाइल
पर चलूँ चार हजार कि०मी०प्रति
घंटे की रफ़्तार से गगन भेदता
गड़गड़ाता वायुमंडल को हिलाता
थरथराता पूरे ब्रह्मांड में भूकम्प
लाता और टकरा जाऊँ उस
दहकते सूर्य से
जिस पर लिखा है

पूँजीवाद
तब छा जाए इस पूरी
धरती पर शीतल-शीतल
शान्ति और अमन, और,
बनकर चाँदनी मुस्कुराऊँ
उस नवजात अँगड़ाई लेते
शिशु के ओठों पर जो
लेगा जन्म उस महाविस्फोट के पश्चात् ।



लू / अजय कृष्ण
  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
Newer Post Older Post Home

0 Comments:

Post a Comment

Amazon.in

Subscribe icon

Latest updates by email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Popular Posts

  • माँ-भाग २ ~ मुनव्वर राना , Munawwar Rana / Maa / Part 2
  • The Tenor Man/ Adrian Green
  • Little Exercise by Elizabeth Bishop

Pages

  • Home
  • Privacy policy
  • Contact us
  • About us

Blog Archive

Featured post

Follow Us

  • Twitter
  • Pinterest
  • Google+
  • Facebook

Search Here

  • Home
  • English poems
  • हरिवंशराय बच्चन जी
  • सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  • कवि बद्रीरारायण जी
  • अन्य कविताएँ
  • अटल बिहारी वाजपेयी जी

Menu

  • Home
  • Privacy policy
  • About
  • Contact Us

Recent Comments

Profile

My photo
Vikas Jain
View my complete profile

Labels

Adam Lindsay Gordon (5) Adrian Green (3) Ajay Krishna (1) Alan Seeger (5) Aleister Crowley (2) Aleksandr Blok (1) Alexander Pope (1) Alexander Pushkin (2) Allen Ginsberg (1) Amy Levy (1) Amy Lowell (2) Anne Bronte (2) Anne Sexton (2) Ben jonson (2) David Lehman (2) English poems (19) James Tate (1) अखिलेश तिवारी (1) अग्निशेखर (4) अंजना भट्ट (7) अजय कृष्ण (5) अजय पाठक (2) अजित कुमार (2) अज्ञेय (1) अटल बिहारी वाजपेयी जी (12) अदम गोंडवी (1) अन्य कविताओं (4) अम्बर रंजना पाण्डेय (1) अम्बर रंजना पाण्डेय (1) अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध (1) अरुण जैमिनी (2) अल्हड़ बीकानेरी (1) अशोक चक्रधर (1) अशोक वाजपेयी (3) आलोक धन्वा (1) कवि बद्रीरारायण जी (3) काका हाथरसी (3) कुमार विश्वास (4) कुंवर नारायण (1) केदारनाथ सिहं (2) चंदबरदाई (1) दुष्यंत कुमार (1) महादेवी वर्मा (1) मुनव्वर राना (2) मैथिलीशरण गुप्त (1) रामनरेश त्रिपाठी (1) शैल चतुर्वेदी (1) सुभद्रा कुमारी चौहान (1) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (3) हरिओम पंवार (3) हरिवंशराय बच्चन जी (12)

Hello Poetry

Popular Posts

सिन्दूर लगाना ~ अम्बर रंजना पाण्डेय

Devils / Alexander Pushkin , Alexander Pushkin Poems

Copyright © Hello Poetry | Powered by Blogger
Design by Hardeep Asrani | Blogger Theme by NewBloggerThemes.com | Distributed By Gooyaabi Templates